संपादकीय
अरविंद तिवारी
विद्यालय के विकास के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं। त्रैमासिक पत्रिका ‘दीया’ इसी प्रयास की एक कड़ी है। ग्रेड चार में प्रमोशन के बाद मेरा पदस्थापन पोटका प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, टांगराईन में हुआ। क्या यह संयोगवश हुआ? क्योंकि टांगराईन गांव से मेरा पुराना नाता रहा है।
अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए आदिम जनजाति के परिवारों और शबर लोगों के विकास के लिए वर्ष 2005 से ही मेरा जुड़ाव इस गांव से हुआ। तब पहली बार हमारे साथियों ने शबर बच्चों को साबुन से नहलाया था। नये कपड़े पहनाये थे। उनके बाल कटवाये थे। बालों में जूँ नहीं खटमल रेंग रहे थे। तब सोचता था कि यदि शिक्षक के रुप में कभी इस गांव में आया तो केवल सरकारी बच्चों के लिए नहीं बल्कि पूरे गांव के समग्र विकास के लिए कार्य करुंगा।
31 जनवरी 2017 को मेरा पदस्थापन उ0 म0 वि0 टांगराईन में कला शिक्षक के रुप में हुआ। यह इस तरह हुआ जैसे प्रकृति ने मुझे चुनौती दी हो। लो करो यदि कुछ कर सकोगे तो। 1 फरवरी को जब स्कूल जा रहा था, चाकड़ी मोड़ से टांगराईन स्कूल तक वृक्षविहीन सड़कें तथा सूखे खेत ने मेरा मन दुखी कर दिया। रास्ते में ही संकल्प लिया कि बच्चों के साथ-साथ पूरे पंचायत के समग्र विकास के लिए एेड़ी-चोटी एक कर दूंगा। लाख बिध्न आये, अपने प्रयास से नहीं डिगूँगा।
पहले ही दिन बच्चों के लिए कॉपी ले के गया था। बच्चों को कहा कि प्रत्येक दिन दो पेज हिन्दी व दो पेज अंग्रेजी लिखें।कॉपी की चिंता न करे ,मैं दूंगा। पिछले छह सात महीनों के इस प्रयास केअब फायदे दिखने लगे है। बच्चों में भाषा ज्ञान की वृद्धि हो रही है।
दूसरा प्रयास मेरा ‘ कहो पहाड़ा ‘ कार्यक्रम था। बच्चों में गणितीय क्षमता के विकास के लिए मैंने बच्चों से कहा कि मुझे जो भी बच्चा 20 तक पहाड़ा सुनायेगा, उसे शहर ले जाकर फिल्म दिखाऊगा।
दिनांक को 48 बच्चों ने 20 तक पहाडा सुनाया। विद्यालय प्रबंधन समिति, शिक्षक एवं कुछ ग्रामीणें को लेकर पायल टॉकिज में फिल्म बाहुबली दिखायी। सभी बच्चे 20 तक पहाड़ा जानें इसके लिए प्रार्थना एवं विसर्जन सभा में भी पहाड़ा दोहराया जा रहा है।
अनुपस्थित रहने वाले बच्चों के घर तक पहाड़ा रैली निकालने के दोहरे फायदे हो रहे हैं। बच्चे स्कूल भी आ रहे है और पहाड़ा भी सीख रहे हैं।
पढने की क्षमता के विकास के लिए अक्कड़- बक्कड़ रीडिंग क्लब की स्थापना की और बच्चों की नियमित बारह पत्रिकाएं मंगानी शुरू की । विद्यालय का एक कोना जहाँ सभी पत्रिकाएं पड़ी रहती हैं। बच्चों को स्वतंत्रता है कि वे कभी भी जाकर वहॉ मनपसंद पत्रिकाएं पढ सकते हैं तब भी जब उनकी क्लास चल रही हो और उन्हें बोरियत महसूस हो।
उसी प्रयास के तहत प्रत्येक शनिवार को ‘‘सुनो कहानी‘‘ कार्यक्रम शुरू किया गया। इस कार्यक्रम का उद्धेश्य लोगों में पढ़ने की प्रवृति तथा अपने-आपको अभिव्यक्त करने की क्षमता का विकास करना था।
इसके बाद प्रत्येक बच्चों को यह अहसास कराने के लिए कि वे भी खास हैं जन्मदिन समारोह की शुरूआत की। जन्मदिन समारोह में बच्चे को विद्यालय परिवार की ओर से एक पुस्तक व एक पौधा भेंट स्वरूप दिया जाता है।
विद्यालय के सभी बच्चे उसका जन्मदिन मिलजुल कर मनाते हैं। आधार कार्ड में बच्चों के जन्मदिन संबंधी कई विसंगतियां हैं। उन्हें भी इसी बहाने दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
बच्चों को खेलने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु फुटबॉल एवं बैडमिंटन उपलब्ध कराया गया। फुटबॉल प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। खेल दिवस 29 अगस्त को तैराकी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
हमारा प्रयास है कि एडवोकेसी के जरिए गांव में सरकार की ओर से स्वीमिंग पूल एवं खेल स्टेडियम तथा प्रेक्षागृह बनाया जाय।
मेरे सभी प्रयासों को बच्चों के साथ-साथ शिक्षक एवं ग्रामवासियों का भी भरपूर साथ मिल रहा है। इस बीच ग्रामवासियों ने स्कूल के विस्तार के लिए विद्यालय के सामने की जमीन को दान एवं खरीदकर अधिग्रहण करना शुरू कर दिया है। दानवीर सुशांत मंडल ने विद्यालय को 6 कट्टा जमीन खरीदकर दान में दी। पूरे क्षेत्र में इस तरह का माहौल बन गया कि क्या बच्चे, क्या जवान, क्या बूढ़े सभी विद्यालय के विकास के लिए कुछ न कुछ करना चाहते हैं। तन, मन व धन से।