
सत्येन्द्र कुमार
जमशेदपुर, 7 जनवरी, 2018: टांगराइन उत्क्रमित मध्य विद्यालय जमशेदपुर से ४६ किलोमीटर दूर है। वहाँ, कहानी मेला चल रहा है। साहित्यकार, पत्रकार और समाजसेवी अलग-अलग सत्र में बच्चों से संवाद कर रहे हैं, फिर पसंद की कहानी सुना रहे हैं।
कहानी मेला के दूसरे दिन खबर मंत्र के ब्यूरो हेड के रूप में आज मुझे बच्चों से संवाद करना था।
बच्चों के बीच मैंने जो बातें रखीं उनके बिंदु थे- बड़े सपने देखों। सपना देखने का पैसा नहीं लगता तो छोटा सपना कोई क्यों देखे!अपने पसंद वाले सेक्टर में बड़ा बनो। उसके लिए खूब पढ़ो।

पढाई, ऐसा जरिया है, जो आपको भविष्य में आमिर बना सकता है। हिंदी माध्यम के स्कूल में पढ़े स्टूडेंट आज बड़े-बड़े मुकाम पर हैं। यह कभी नहीं सोचना की हिंदी में पढ़ने से बड़े सपने साकार नहीं होते। आर्थिक तंगी में पढ़ कर भी डॉ. कलाम देश के नमी वैज्ञानिक बने और देश के बेहद लोगप्रिय राष्ट्रपति भी चुने गए।
माता-पिता की क़द्र करो। मास्टर जी की बात मानना। बचपन में आपने अपने माता-पिता की ऊँगली पकड़ चलना सीखा, बुढ़ापे में माँ-बाप का आप सहारा बन जाना। मन लगा कर पढ़ाई, खूब मेहनत और माता-पिता और मास्टर जी के आर्शीवाद से दुनिया में आप हर सपना पूरा कर सकते हैं।

अंत में मैंने बचपन में अपनी माँ द्वारा सुनाई कहानी -बाघ और भैंसा को सुना कर उनके दिन को यादगार बनाने की कोशिश की।
बच्चों के बीच बुलाने के लिए स्कूल के हेड मास्टर अरविन्द तिवारी के प्रति आभार।
(यह आलेख सत्येन्द्र कुमार जी की अनुमति से उनके फेसबुक वॉल पर किये गये पोस्ट से लिया गया है)